मोदी सरकार का मकसद सीमा पर अधोसंरचना को मजबूत कर ऑपरेशनल गतिविधियों को आसान बनाना है. चिनूक हेलीकॉप्टर के लिए जो हेलीपैड्स बनाए जा रहे हैं उनके जरिये होवित्जर तोपों की आवाजाही को सुगम बनाना है. ...
मोदी सरकार का मकसद सीमा पर अधोसंरचना को मजबूत कर ऑपरेशनल गतिविधियों को आसान बनाना है. चिनूक हेलीकॉप्टर के लिए जो हेलीपैड्स बनाए जा रहे हैं उनके जरिये होवित्जर तोपों की आवाजाही को सुगम बनाना है.
एलएसी पर भारतीय रक्षा पंक्ति को दी जा रही है मजबूती. (Photo Credit: न्यूज नेशन)
highlights
- अत्याधुनिक हथियारों से लैस किया जा रहा है भारतीय सेना को
- अरुणाचल प्रदेश में खुफिया तंत्र को और विकसित किया जा रहा
- चिनूक हेलीकॉप्टर के लिए दुर्गम इलाकों में बन रहे हेलीपैड्स
नई दिल्ली:
अरुणाचल प्रदेश में चीन से लगती वास्तविक नियंत्रण रेखा पर तैनात भारतीय सेना को जल्द ही कई तरह के अत्याधुनिक हथियार मिलने जा रहे हैं. इनमें लाइट मशीनगन, असॉल्ट राइफल्स, रॉकेट लांचर, ड्रोन, ऑल टैराइन व्हीकल्स के साथ बेहद हाई टेक खुफिया उपकरण होंगे. मोदी सरकार के सेना के आधुनिकीकरण अभियान के तहत यह साज-ओ-सामान जुटाए जा रहे हैं. इसके लिए इजरायल के नेगेव लाइट मशीन गन, अमेरिका की सिग सॉर असॉल्ट राइफ्ल्स, स्वीडन के कार्ल गुस्ताव एमके-3 रॉकेट लांचर और आत्मनिर्भर भारत के तहत स्वदेश में निर्मित चालक रहित विमान शामिल हैं. इसके अलावा चिनूक हेलीकॉप्टर्स के लिए हर मौसम में उपयोगी हेलीपैड्स भी बनाए जा रहे हैं.
एलएसी पर भारतीय सेना को मजबूती देंगे आधुनिक हथियार
प्राप्त जानकारी के मुताबिक एक साथ कई अभियानों को लांच करने में सक्षम चिनूक हेलीकॉप्टरों को संचालित करने के लिए हेलीपैड भी बनाए जा रहे हैं. इनकी मदद से दूरदराज के इलाकों में भी सैनिकों और हथियारों की तेजी से तैनाती करना आसान हो जाएगा. इसके साथ ही सीमा पर उच्च क्षमता वाली संचार व्यवस्था को भी लागू करने की योजना है ताकि किसी भी आपात स्थिति में सूचनाओं का आदान-प्रदान बगैर किसी रुकावट के हो सके. पूर्वी अरुणाचल प्रदेश में तैनात माउंटन ब्रिग्रेड के कमांडर ठाकुर मयंक सिन्हा के मुताबिक, बेहद तेजी से एलएसी पर तैनात जवानों को आधुनिक हथियारों से लैस किया जा रहा है.
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एलएसी पर 60 हजार सैनिक अभी भी तैनात
मोदी सरकार का मकसद सीमा पर अधोसंरचना को मजबूत कर ऑपरेशनल गतिविधियों को आसान बनाना है. चिनूक हेलीकॉप्टर के लिए जो हेलीपैड्स बनाए जा रहे हैं उनके जरिये होवित्जर तोपों की आवाजाही को सुगम बनाना है. यह काम तेजी से चल रहा है. सामरिक सूत्रों के मुताबिक एस777 होवित्जर तोपों से चीन के सैनिक जमावड़े को मुंह तोड़ जवाब दिया जा सकेगा. इस तोप को दुर्गम से दुर्गम इलाके में ले जाना आसान है, जिस कारण भारतीय सेना को दुश्मन के सामने अतिरिक्त मजबूती मिल सकेगी. गौरतलब है कि पीपी15 से भारत-चीन सैनिकों की वापसी के बावजूद कुछ प्वाइंट्स पर दोनों देशों के लगभग 60 हजार सैनिक अभी भी तैनात हैं.
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First Published : 10 Sep 2022, 08:13:19 AM
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