Homeदेश

रायपुर में छत्तीसगढ़िया ओलंपिक का आगाज, CM भूपेश ने कंचा खेला, भंवरा नचाया और पिट्‌ठुल में आजमाया हाथ

my-portfolio

छत्तीसगढ़ के पारंपरिक खेलों को वैश्विक पहचान दिलाने रायपुर में छत्तीसगढ़िया ओलंपिक का रंगारंग आगाज हुआ। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने गुरुवार को सरदार बलवीर सिंह जुनेजा इनडोर स्टेडियम में इसकी शुरुआत की।...

छत्तीसगढ़ सरकार ने PMLA की संवैधानिक वैधता को सुप्रीम कोर्ट में दी चुनौती, 4 मई को होगी चुनौती
छत्तीसगढ़ में नई नागपुर-बिलासपुर वंदे भारत ट्रेन पर पथराव, PM मोदी ने रविवार को दिखाई थी हरी झंडी
The unconventional guide to cultural solutions

छत्तीसगढ़ के पारंपरिक खेलों को वैश्विक पहचान दिलाने रायपुर में छत्तीसगढ़िया ओलंपिक का रंगारंग आगाज हुआ। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने गुरुवार को सरदार बलवीर सिंह जुनेजा इनडोर स्टेडियम में इसकी शुरुआत की। सीएम भूपेश ने कहा कि छत्तीसगढ़ की संस्कृति, सभ्यता और विशिष्ट पहचान यहां की ग्रामीण परंपराओं और रीति रीवाजों से है। प्रदेश में पारंपरिक खेलों का विशेष महत्व है। पिछले कुछ वर्षों में छत्तीसगढ़ के इन खेलों को लोग भूलते जा रहे थे। खेलों को चिरस्थायी रखने, आने वाली पीढ़ी से इससे अवगत कराने छत्तीसगढ़ियां ओलंपिक खेलों की शुरूआत की गई है। 

सीएम ने कहा कि छत्तीसगढ़ के यह खेल मनोरंजक होने के साथ-साथ स्वास्थ्य के लिए भी लाभदायक हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में इन खेलों से बच्चे, बुजुर्ग और युवा सभी व्यायाम आदि शारीरिक गतिविधियों से जुड़ते हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ की संस्कृति को बढ़ावा देने के साथ खेलकूद को भी बढ़ावा दिया जा रहा है। छत्तीसगढ़िया ओलंपिक खेलों से राज्य के हर गांव, हर ब्लॉक तथा हर जिले में स्थानीय खेलों का आयोजन होगा। इस मौके पर मुख्यमंत्री बघेल ने खिलाड़ियों के साथ भंवरा नचाया, कंचा खेला और पिट्‌ठुल में हाथ आजमाया। सीएम ने छत्तीसगढ़िया ओलंपिक खेलों के ब्रोशर का विमोचन भी किया। 

बोरे बासी अभियान को देश-विदेश में मिली पहचान
छत्तीसगढ़िया ओलंपिक के शुरुआत पर खेल मंत्री उमेश पटेल ने कहा कि यह मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सोच है कि छत्तीसगढ़िया संस्कृति को आगे बढ़ाना है। ऐसा प्रयास अभी तक किसी ने नहीं किया। पहली बार यह प्रयास मुख्यमंत्री कर रहे हैं। छत्तीसगढ़ी भाषा, खानपान, लोक कला, संस्कृति, खेलकूद को बढ़ावा देने और उसे छत्तीसगढ़ के बाहर भी पहचान दिलाने सरकार पूरी तरह से प्रयासरत है। खेल मंत्री ने कहा कि सरकार के प्रयास सफल भी होते दिख रहे हैं। बोरे बासी खाने के अभियान को देश-विदेश में पहचान मिली है। अब छत्तीसगढ़िया खेल भी अपनी अलग पहचान बनाएंगे।

तीन महीने तक चलेगा छत्तीसगढ़िया ओलंपिक
छत्तीसगढ़िया ओलंपिक में पारंपरिक खेल प्रतियोगिताएं दो श्रेणी में होंगी। इस प्रतियोगिता में जिन खेलों को शामिल किया गया है, उसमें दलीय श्रेणी यानी टीम इवेंट में गिल्ली डंडा, पिट्‌ठुल, संखली, लंगड़ी दौड़, कबड्डी, खो-खो, रस्साकसी और बांटी (कंचा) जैसी खेल विधाएं हैं। वहीं एकल श्रेणी यानी सोलो इवेंट में बिल्लस, फुगड़ी, गेड़ी दौड़, भंवरा, 100 मीटर दौड़ एवं लम्बी कूद शामिल है। आयु वर्ग को तीन वर्गों में बांटा गया है। इसमें प्रथम वर्ग 18 वर्ष की आयु तक, फिर 18-40 वर्ष आयु सीमा तक, वहीं तीसरा वर्ग 40 वर्ष से अधिक उम्र के लिए है। इस प्रतियोगिता में महिला एवं पुरुष दोनों वर्ग में प्रतिभागी होंगे। छत्तीसगढ़िया ओलंपिक का समापन 6 जनवरी 2023 को होगा।